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Friday, November 5, 2010

तुम दीप जला-के तो देखो... डॉ नूतन गैरोला

have a great diwali
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तुम दीप जला-के तो देखो... डॉ नूतन गैरोला





हमने अँधेरा देखा है
एक अहसास बुराई का
ये दोष अँधेरे का नहीं
ये दोष हमारा है

हमने क्यों मन के कोने में
 इक आग सुलगाई अँधेरे की
खुद का नाम नहीं लिया हमने
बदनाम किया अँधेरे को.......

एक पक्ष अँधेरे का है गुणी
कुछ गुणगान उसका तुम करो
अँधेरा है तो दीया भी है
अँधेरे सा निर्विकार प्रेम तुम करो |

अँधेरे की प्रीति दीये के संग
दीये के अस्तित्व को लाती है
फिर मिटा देता है खुद को ही
और दीये की रौशनी छाती है ......

पूजा न जाता दीया मगर
बलिदानी न होता तम अगर
खो गया वो उपेक्षित और उपहास लिए ,
गुमनामी के अंधेरो में |

तुम तम सम रोशनी के लिए
कुछ त्याग करके तो देखो
एक चिंगारी सुलगा के तो देखो
तुम दीप जला-के तो देखो
अँधेरा मिटा के तो देखो |

                                         

  डॉ नूतन गैरोला

diwali lamps
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17 comments:

Udan Tashtari said...

सुन्दर भाव!



सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल 'समीर'

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत सन्देश देती रचना ....

रश्मि प्रभा... said...

bahut bahut hi achhi rachna

Babli said...

आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!

Kailash C Sharma said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.. अँधेरे के दर्द की लाजवाब प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें

Babli said...

आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही सुन्दर और शानदार रचना ! बधाई!

कुमार राधारमण said...

दीपावली पर सम्यक् संदेश। अंधेरा बनना सहज है,उसके लिए कुछ करना नहीं पड़ता। दीप बनना एक चुनौती।

अशोक बजाज said...

सुन्दर पोस्ट .बधाई !

Kunwar Kusumesh said...

अँधेरे का दर्द उकेरती इस कविता के भावपक्ष का नयापन लेखिका की व्यापक सोंच का परिचायक है.

प्रेम सरोवर said...

AApke udgar bahut hi satik hain.Full of emotion. Good MOrning.

VIJAY KUMAR VERMA said...

दिल मे उतर जाने वाले भाव्……………बेहद उम्दा रचना। गज़ब की बात कह दी।

Dorothy said...

अंधेरे और रोशनी के अंतर्संबधों को नई व्याख्या देती एक खूबसूरत और संवेदनशील प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

जयकृष्ण राय तुषार said...

bahut ni sundar post dr.nootanji

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

मर्मस्पर्शी रचना के लिये मुबारक बाद।

Navin C. Chaturvedi said...

नूतन जैसा कि मैने पहले भी लिखा है इस कविता के सन्दर्भ में कि जब सभी जगह रोशनी की ही चर्चा छिड़ी हो, ऐसे में अंधेरे की हिमाकत बहुत हिम्मत की बात है| और अंत में 'एक चिंगारी' का उद्घोष इस कविता को पूर्णता भी प्रदान करता है| फिर से बधाई स्वीकार करें|

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

सभी ब्लोगर साथियों को धन्यवाद और शुभकामनायें ..|

कविता रावत said...

sundar deepon se jagmagti rachna. bahut achha laga..aabhar